डॉ. रामबली मिश्र
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दुर्मिल सवैया
मन में नहिं चोर रहे कबहूँ, मन को नित साफ किया करना।
निःशंक रहो कपटी न बनो, शुभ चिंतक हो चलते रहना।
सबके प्रति भाव विशुद्ध रहे, सबको अपना करते चलना।
ग़लती न करो सच राह धरो, बन पावन वायु सदा बहना।
Abhilasha deshpande
12-Jan-2023 05:37 PM
Nice
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अदिति झा
12-Jan-2023 04:21 PM
Nice 👍🏼
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Abhilasha deshpande
12-Jan-2023 05:37 PM
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अदिति झा
12-Jan-2023 04:21 PM
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