लाइब्रेरी में जोड़ें

दुर्मिल सवैया




दुर्मिल सवैया


मन में नहिं चोर रहे कबहूँ, मन को नित साफ किया करना।

निःशंक रहो कपटी न बनो, शुभ चिंतक हो चलते रहना।

सबके प्रति भाव विशुद्ध रहे, सबको अपना करते चलना।

ग़लती न करो सच राह धरो, बन पावन वायु सदा बहना।

   8
2 Comments

Abhilasha deshpande

12-Jan-2023 05:37 PM

Nice

Reply

अदिति झा

12-Jan-2023 04:21 PM

Nice 👍🏼

Reply